सेहत के इस पैमाने पर भी वेरी-वेरी स्‍पेशल बने लक्ष्‍मण

सेहत के इस पैमाने पर भी वेरी-वेरी स्‍पेशल बने लक्ष्‍मण

सेहतराग टीम

कभी अपनी बल्‍लेबाजी के कारण वेरी वेरी स्‍पेशल कहे जाने वाले वीवीएस लक्ष्‍मण इस बार अपने सामाजिक सरोकार के कारण वेरी वेरी स्‍पेशल कहे जा रहे हैं। कभी सच‍िन, सौरभ और द्रविड़ के साथ भारतीय बल्‍लेबाजी की रीढ़ रहे लक्ष्मण ने रविवार को ब्लड-स्टेम सेल डोनर के रूप में अपना पंजीकरण कराया। इस मौके पर उन्‍होंने कहा कि सभी को ब्‍लड स्‍टेम सेल डोनर बनना चाहिए ताकि रक्त कैंसर से जूझ रहे हजारों लोगों को जीवनदान मिल सके।

लक्ष्मण ने एक गैर-लाभकारी संस्था में अपना पंजीकरण कराया है। यह संस्था अपनी मर्जी से ब्लड स्टेम सेल दान करने वालों की सूची रखता है और रक्त कैंसर तथा थैलेसिमिया जैसी रक्त संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद करता है।

लक्ष्‍मण ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जिंदा रहते हुए बहुत कम लोगों को जीवन बचाने का मौका मिलता है। जो व्यक्ति सिर्फ आपकी वजह से जीवित है, उससे मिलना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।’ उन्होंने कहा कि 1.35 अरब जनसंख्या वाले देश में महज 3,72,000 लोग दात्री के साथ पंजीकृत हैं।

लक्ष्मण ने कहा कि हजारों की संख्या में मरीज, दाताओं (डोनर) का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने सभी से आगे आने और इस दिशा में प्रयास करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे हाल ही में पता चला कि रक्त कैंसर और ऐसी कई जानलेवा बीमारियों को सामान्य ब्लड स्टेम सेल के जरिए ठीक किया जा सकता है। दान करने की प्रक्रिया बहुत आसान है... किसी की जान बचाने के लिए बस आपके कुछ घंटे खर्च होने हैं।’ 

लक्ष्मण ने कहा कि वह थैलेसिमिया से पीड़ित कुछ बच्चों से मिले और यह जानकर उन्हें बहुत दुख हुआ कि इनमें से कई को महज 20 दिन पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है और उनकी जिंदगी की बहुत कम उम्मीद बची है।

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